सेबी के अनुसार, वित्त वर्ष 2013-14 में कंपनी का सालाना राजस्व 8.38 करोड़ रुपये था, लेकिन शुद्ध लाभ महज 70 लाख रुपये था. इसी तरह, वित्त वर्ष 2014-15 में इसका सालाना राजस्व 10.30 करोड़ रुपये था, लेकिन शुद्ध लाभ सिर्फ 1.16 करोड़ रुपये था. यह आंकड़े कंपनी की ईमानदारी पर सवाल खड़े करते हैं, क्योंकि शुद्ध लाभ और राजस्व के बीच 10 गुना का अंतर आम तौर पर नहीं हो सकता है.
इसी तरह कंपनी के शेयर की कीमत और मार्केट कैपिटलाइजेशन के बीच बड़ा अंतर भी कहीं से तार्किक नहीं लगता है. मार्केट कैपिटलाइजेशन किसी कंपनी के आउटस्टैंडिंग शेयरों के मूल्य को बताता है. आउटस्टैंडिंग शेयर का मतलब उन सभी शेयरों से है, जो कंपनी ने जारी किये हैं. इसे कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयरों (बाजार में जारी शेयर) के साथ शेयर के मौजूदा बाजार भाव को गुणा करके निकाला जाता है.
बचाना होगा शेयर बाजार को
भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसइ) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसइ) नाम के दो प्रमुख शेयर बाजार हैं. शेयर बाजार में बांड, म्यूचुअल फंड और डेरिवेटिव भी खरीदे और बेचे जाते हैं. कोई भी सूचीबद्ध कंपनी पूंजी उगाहने के लिए शेयर जारी करती है. कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार निवेशकों को शेयर खरीदना होता है. जितना निवेशक शेयर खरीदते हैं, उतना उसका कंपनी पर मालिकाना हक हो जाता है. निवेशक अपने हिस्से के शेयर को बाजार में कभी भी बेच सकते हैं. ब्रोकर इस काम के एवज में निवेशकों से कुछ शुल्क लेते हैं.
लंबी तेजी के बाद गिरावट
बैंकिंग के अलावा मेटल और फार्मा भी गिरे. कुल मिलाकर BSE पर 30 में 24 शेयर टूटे. हालांकि एशियन पेंट्स के कारण थोड़ा रंग जमा. इसके शेयर 4% की तेजी के साथ बंद हुए. सुवेन फार्मा में तो 10% का लोअर सर्किट लगने के बाद कारोबार रोकना पड़ा. कोरोना काल में जब फार्मा सेक्टर को मजबूत माना जा रहा है तो इसमें लोअर सर्किट चौंका सकता है लेकिन ये भी समझने वाली है कि पिछले पांच सेशन इसके शेयर चढ़ रहे थे. निफ्टी में भी FMCG को छोड़कर सारे गिरे.
शेयर बाजार में उछाल, सेंसेक्स में 465 अंक
अंत में यह 523.68 अंक या 1.53 प्रतिशत की बढ़त के साथ 34,731.73 अंक पर बंद हुआ. इसी तरह निफ्टी 152.75 अंक या 1.51 प्रतिशत की बढ़त से 10,200 अंक के पार 10,244.40 अंक पर बंद हुआ. सेंसेक्स की कंपनियों में बजाज फाइनेंस का शेयर सात प्रतिशत चढ़ गया.