अनलिस्टेड शेयर ट्रेडिंग और ग्रे मार्केट में क्या अंतर है? मार्केट में लिस्टेड होने से पहले शेयर कैसे खरीदें? – यदि आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तो आपने अनलिस्टेड शेयर ट्रेडिंग और ग्रे मार्केट के बारे में जरूर सुना होगा।
बहुत सारे लोग इस के बीच का अंतर भली-भांति समझते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें यह जानकारी नहीं होती है कि अनलिस्टेड शेयर ट्रेडिंग और ग्रे मार्केट के बीच कुछ अंतर होता है। यदि आप भी उनमें से एक हैं, तो यह आर्टिकल आपके बहुत ही काम आएगा। क्योंकि इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि अनलिस्टेड शेयर ट्रेडिंग और ग्रे मार्केट में क्या अंतर है?
मार्केट में लिस्टेड होने से पहले शेयर कैसे खरीदें?
भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में कई सारी कंपनियां चलाई जा रही थी। जब इन कंपनियों को पैसों की जरूरत होती है तो उनके पास कई सारे विकल्प होते हैं उनमें से एक शेयर इश्यू करने का भी विकल्प होता है। साधारण तौर पर रिटेल निवेशक सिर्फ उन्हीं कंपनियों के शेयरों की खरीद एवं बिक्री के बारे में सोचते हैं जो स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होते हैं।
लेकिन आपको बता दें कि ऐसी कंपनियों के भी शेयर खरीदे जा सकते हैं जो स्टॉक मार्केट में लिस्टेड नहीं होते हैं। इन की बिक्री अनलिस्टेड मार्केट में होती है।
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जब कोई कंपनी अपना आईपीओ इश्यू करती है तो स्टॉक मार्केट में लिस्टिंग से पहले ग्रे मार्केट के बारे में काफी बात की जाती है और इसके प्रीमियम के अनुसार ही बहुत सारे निवेशक इसके शेयर में निवेश करने के बारे में सोचते हैं। हालांकि ग्रे मार्केट भी शेयरों की स्टॉक मार्केट में लिस्टिंग होने से पहले खरीद एवं बिक्री से जुड़ा हुआ है। इसी कारण से बहुत सारे लोग अनलिस्टेड और ग्रे मार्केट को एक तरह समझ लेते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
अनलिस्टेड मार्केट और ग्रे मार्केट में क्या अंतर है? (Unlisted Market vs Grey Market):
• यदि आप किसी कंपनी के आईपीओ में निवेश करते हैं तो आपको यह पता होगा कि जब किसी कंपनी के आईपीओ का प्राइस बैंड का ऐलान होता है तो उसके आसपास के समय में ग्रे मार्केट में भी गतिविधियां शुरू हो जाती है।
लेकिन ऑन लिस्टेड मार्केट में इसके ठीक उल्टा होता है क्योंकि इसमें शेयरों की ट्रेडिंग आईपीओ इश्यू होने से पहले ही जारी की जा सकती है। उदाहरण के लिए आपको बता दें कि नजारा टेक्नोलॉजीज का आईपीओ इस साल इश्यू किया गया है, जबकि 2018 से ही इसके शेयर अनलिस्टेड मार्केटमें उपलब्ध हैं।
• आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ग्रे मार्केट में शेरों की डीलिंग में कोई शेयर नहीं मिलता है। यह एक तरफ से अनऑफिशियल फ्यूचर/फॉरवर्ड की तरह है। जबकि और लिस्टेड मार्केट में खरीदे गए शेयरों को डिमैट खाते में रखा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सेबी द्वारा बनाए गए नियम के अनुसार किसी भी फिजिकल शहर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखना आवश्यक है।
• आपको बता दें कि ग्रे मार्केट में कैश के जरिए शेयर खरीदा एवं बेचा जाता है। इसमें खरीदने एवं बेचने की सभी प्रक्रिया भरोसे पर टिकी होती है। इसी के चलते ग्रे मार्केट में शेयरों की खरीद एवं बिक्री में काफी जोखिम होता है।
अनलिस्टेड मार्केट में ट्रेडिंग के लिए सेबी द्वारा कोई गाइडलाइन नहीं बनाया गया है लेकिन इसमें शेयर की खरीद एवं बिक्री अकाउंट के जरिए होता है और इसके शेयर डिमैट अकाउंट में रखे जाते हैं। ऑरलिस्टेट मार्केट से शेयर खरीदना पूरी तरह से वैध है और इसमें कोई जोखिम भी नहीं है।
• ग्रे मार्केट में किसी भी शेयर को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया स्थानीय ब्रोकर के द्वारा की जाती है और शेयर को अन आधिकारिक तौर पर फ्यूचर/फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट दिए जाते हैं। जबकि अनलिस्टेडट मार्केट में शेरों को एक डीमैट अकाउंट से दूसरे डीमेट अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
• जब किसी कंपनी का आईपीओ इश्यू किए आता है तभी ही ग्रे मार्केट में उसके शेयर उपलब्ध होते हैं। लेकिन अनलिस्टेड मार्केट में आईपीओ इश्यू होने से पहले ही किसी कंपनी के शेयर डिमैट खाते में रहते हैं। दरअसल यह शेयर किसी कंपनी के प्रमोटर या अप्लाई के जरिए उपलब्ध होते हैं। यदि आप कौन लिस्टेड मार्केट में शेयर खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अनलिमिटेड मार्केट को डील करने वाले ब्रोकर से संपर्क करना पड़ता है।